गणेश चतुर्थी 2025: महत्व पूजन विधि और इतिहासl

गणेश चतुर्थी 2025: महत्व पूजन विधि और इतिहास,

           गणेश चतुर्थी india का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है, जिसे विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह पर्व पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है।  पूरे समाज मैं मनाया जाता है ।इंडिया मैं खासकरके लोग बड़ी धूमधाम से मनाते है ।

               

               गणेश चतुर्थी का इतिहास और महत्व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणपति बप्पा का जन्म हुआ था। गणेश जी को विघ्नहर्ता, सिद्धिविनायक और मंगलमूर्ति कहा जाता है। वे भक्तों के दुख दूर करते हैं और उन्हें succes, knowledge और बुद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी गहरा है।

गणेश चतुर्थी पर पूजा-विधि

गणेश चतुर्थी पर घरों और पंडालों में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की जाती है।

1.प्रतिमा की स्थापना से पहले स्थान को साफ कर सजाया जाता है।

 

2.गणेश जी को सिंदूर, दूर्वा घास, मोदक और लड्डू अर्पित किए जाते हैं।.

 

3.आरती, मंत्र-जाप और भजन गाए जाते हैं

लोग 10 दिनों तक लगातार पूजा करने मैं लगे रहते है

गणेश चतुर्थी का उत्सव और परंपराएँ

महाराष्ट्र में इस पर्व की रौनक सबसे अधिक देखने को मिलती है। जगह-जगह भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और आकर्षक झांकियां बनाई जाती हैं। भक्त गणपति बप्पा की आरती गाते हैं और “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारे लगाते हैं।

 

इस त्यौहार पर सबसे खास व्यंजन है मोदक, जिसे भगवान गणेश का प्रिय भोग माना जाता है। बड़े और बच्चे सभी लोग इस त्योहार अच्छी तरह मनाया जाता है। पूरे world मैं हिंदू भाई लोग इस त्योहार को खूब प्यार से enjoy करते हैं,सड़कों पर DJ लगा कर लोग गणेश जी का जयकारा लगाते है Dance करते है जगह जगह पर खाने पीने का भी प्रबंध किया जाता है ल

पर्यावरण और गणेश चतुर्थी

आज के समय में यह पर्व पर्यावरण से भी जोड़ा गया है। लोग अब पर्यावरण-हितैषी मिट्टी की मूर्तियों का उपयोग करने लगे हैं, ताकि विसर्जन के समय जल प्रदूषण न हो। यह बदलाव समाज में जागरूकता और प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी का संदेश देता है।

 

गणेश विसर्जन (Anant Chaturdashi)

गणेश चतुर्थी का समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है। इस दिन भक्त बप्पा की प्रतिमा को नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित करते हैं। विदाई के समय वातावरण “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” के नारों से गूंज उठता है।लोग खूब नहाते हैं और पूजा करते है शाम को घर वापिस लौट आते है

 

Conclusion निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है बल्कि यह हमें एकता, भाईचारे, उत्साह और भक्ति का संदेश भी देता है। गणपति बप्पा हमें यह प्रेरणा देते हैं कि जीवन से विघ्नों को दूर कर सफलता और सद्भावना की राह अपनानी चाहिए।इस त्योहार से शिक्षा मिलती है कि हम लोगों को आपस में मिलकर और प्यार से रहना चाहिए

 

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